बेटे के दोस्त का मोटा लंड |
बेटे के दोस्त का मोटा लंड |
मेरा नाम कोमल है, और मेरी उमर करिब 43 साल है। मेरा इक बेटा है 23 साला का है और कॉलेज मै पढता है। उसका एक करीबी दोसत विक्रम है , जो उसके साथ ही समय व्यतीत करता है । ये दोनों अक्सर साथ में पढ़ाई करते थे कभी उसके घर कभी हमारे घर | उन दोनों की वजह से विक्रम की मम्मी और मै भी अच्छे दोस्त बन गए थे | एक दिन उन्होंने मुझे फ़ोन कर के कहा , वो 4-5 दिन के लिए बहार जा रही है अगर मुझे कोई दिक्कत ना हो तो विक्रम उनके घर रह सकता है ? मुझे कोई दिक्कत नहीं थी क्युकि वैसे भी ये दोनों काफी समय साथ मे बिताते थे , अगले ही दिन विक्रम अपना सामान लेकर आ गया , वो मेरे बेटे के रूम मे ही रहने लगा |
इन लोगो के साथ 2 दिन कैसे बीते पता ही नहीं चला लेकिन इन दिनों मे मुझे विक्रम मे कुछ बदलाव नजर आये , जैसे की वो मेरे साथ जयादा रहने की कोसिस करता और वह मुझे छूने का मौका हाथ से जाने नहीं देता था | एक दो बार उसने चूंटी के बहाने मेरे कंधे और छाती तक को टच कर लिया था | एक दिन वो कमरे के बहार खड़ा था | मैंने उसे बच्चा समझ के कुछ नहीं कहा लेकिन बच्चे का लंड बड़ा हो गया है, यह मुझे दो दिन बाद पता चला |
उस रात मै अपने कमरे मे नाइटी पहने नावेल पढ़ रही थी | मेरा बेटा बंटी कुछ काम से बहार गया था और विक्रम को सर मे दर्द होने की वजह से वो नहीं गया, कुछ ही देर बाद मुझे बाथरूम से विक्रम की चीखने की आवाज आई , मै बाथरूम के पास आई और मैने देखा की दरवाजा खुला था और विक्रम बाथ टब मे नंगा खड़ा था , उसका ७ इंच का लम्बा लंड तना हुआ था | मैंने उससे पूछा क्या हुआ ? वो मुझे खिड़की की तरफ इशारा करके बोला मुझे कोने मे मकड़ी की तरफ ईशारा करके बोला मुझे इस से डर लग रहा है , मैंने मन मे सोचा वाह बेटा, ७ इंच का लंड रखते हो और छोटी सी मकड़ी से डरते हो |
विक्रम बोला आंटी मुझे उस मकड़ी ने काट लिया है , मैंने पूछा कहा पर कटा तो उसने अपने लंड की तरफ ईशारा किया , मैंने उसे रूम मे आने को कहा और विक्रम बिना तौलिया डाले मेरे साथ ही रुम की तरफ आ गया | मैंने रूम में उसके लंड को दवाई लगाने के लिए उसका लोढ़ा हाथ मे लिया तो उसका लोढ़ा बहोत सख्त और गरम था | मेरे डाइवोर्स के 6 साल बाद मेरा यह लंड का पहला स्पर्श था , मेरे बदन मे जैसे की करंट दौड़ गया , मुझे लगा की यह लोढ़ा फूंफदे मार रहा है , ऐसा तो तभी होता है जब मर्द उत्तेजित हो , मैंने विक्रम की तरफ देखा और वह मेरी नाइटी के अंदर मेरी चूचियों को देख रहा था |
मेरे देखते ही वो बोला ,आंटी आप भोत सेक्सी हो
मैंने कहा , दवाई कहा लगाऊ ?
विक्रम बोला , आंटी आपके लंड को हाथ लगाते हि सार दर्द गायब हो गया |
मैन , उसे बोला दवाई नहीं लगवाओगे क्या ?
विक्रम, आंटी आप मेरे साथ सेक्स करोगी ?
मै चौंक सी गयी, विक्रम के ऐसे कहने से मै और भी उत्तेजित हो गयी , फिर मैंने अपने आप को संभाला और कहा , नहीं ये क्या बकवास कर रहे हो |
विक्रम ने लंड देने कि सारी योजना बनाई थी , विक्रम , आंटी मैंने आपको परसो कपडे बदलते देखा था तभी से मै आपके साथ सेक्स करने को पागल सा हो गया हु | मैंने जान बुझ कर बंटी को अकेला भेजा है और उसे 1 -2 घंटे का काम भी दिया है | ताकि हम आराम से सेक्स कर सके। मै बड़ी उम्र की औरतो पर मरता हु जैसे कि आप. आप घबराये नहीं , मुझे आपके डर का एहसास था इसलिए मै कंडोम भी लाया हु |
अब मेरे पास बोलने को कुछ नहीं बचा था , विक्रम ने मेरी सारी समस्याओ के रस्ते खुद ही बता दिए थे | फिर भी मै खड़ी हुई और खिड़की के पास चली गयी. विक्रम अपना खड़ा लंड लिए वहा आ गया और उसने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा पता नहीं मुझे क्या हुआ लेकिन मैंने अपने हाथ से उसका हाथ अपने कंधे पर जोर से दबा दिया.
विक्रम को सिग्नल मिल गया हो और उसने अपने दोनों हाथो से मेरी चूचियाँ जोर से मसलने लगा. 6 साल बाद यह स्पर्श मुझे भी तुरंत ही उत्तेजित कर दिया और मै भी अब आँखे बंद कर के उसके स्पर्श का मजा लेने लगी |
विक्रम ने बिना वक़्त गवाए मेरी नाइटी उतार दी , मैंने अंदर ब्रा पैंटी नहीं पहना था इसलिए नाइटी के हटते ही मै उसके सामने नंगी खड़ी थी | विक्रम ने मेरी मोटी गांड के ऊपर हाथ फेरा और उसने मुझे बेड पर गिरा दिया, उसने तुरंत मेरी टाँगे फैला दी और अपना मुँह मेरी चुत के ऊपर रख के उसको चाटने और चूसने लगा | मुझे अभी लग रहा था की यह सब एक हसीन सपना है, लेकिन जब विक्रम ने मेरी चुत पर हलके से दांत गाड़े तो मै उछल पड़ी, मैंने दोनों हाथ से विक्रम का सर अपने चुत में दबा दिया। विक्रम भी मेरी चुत के अंदर तक जीभ डाल के चूसने लगा | मेरी चुत 1-2 मिनट की चुसाई के बाद बेहाल हो गयी और वो अब लंड मांग रही थी |
विक्रम का लंड भी अब थोड़ा और लम्बा हो गया था | फिर वो उठा और अपने लुंड पर कंडोम लगाया | उसने फिर अपना लोढ़ा मेरी छूट पर लगाया और मुझे बहोत समय के बाद लंड का स्वाद मिलने वाला था | विक्रम ने चुत मै लंड डालने मै जरा भी जल्दबाज़ी नहीं की, वो चुदाई का पक्का खिलाडी लगता था | उसने पहले लंड को चुत के होटो पर रगड़ा और फिर धीरे धीरे से लोडे को चुत के अंदर डालना सुरु किया | मै इस असीम सुख को अपनी आँखे बंद कर के बर्दाश्त कर रही थी एक दो स्ट्रोक मै विक्रम ने लोडे को पूरा अंदर दाल दिया उसके हाथ अब मेरी चिचियो को मसल रहा था | उसका लोडा मेरी चुत के अंदर बहार हिलना भी स्टार्ट कर दिया था | वो भरी भरी चूचियों की चुसाई और मसाज करने लगा मेरे मुँह से हलकी हलकी आवाज़ निकलने लगी और मैं भी अपनी गांड को हिला के विक्रम के लौड़े को चूत की गहराई तक लेने की कोसिस करती रही
मुझे सालो के बाद चुदाई का सुख मिला विक्रम ने 30 मिनट की चुदाई के बाद मेरे दोनों चूचिया जोर से दबायी और मेरे होठो पर अपने होठ रख दिए मै भी भोत उत्तेजित थी इसलिए मैंने भी उसके होठों को अपने होंठो से दबा दिया और अब विक्रम को रोकना नामुमकिन था | मेरी चुत के अंदर अब लंड के तेज़ झटके चालू हो गए और विक्रमपुरा लौड़ा बहार निकाल के चुत के अंदर दोबारा दाल देता था | मेरी छूट पूरी खुल गयी तभी विक्रम के लुंड से वीर्य की धार निकली, मेरी चुत कंडोम की वजह से उस गरम गरम लोह रस से दूर रह गयी | विक्रम तुरंत खड़ा हुआ और उसने अपने पहन लिए | मैंने भी छूट को धो कर नाइटी पहन ली | थोड़ी देर बाद बंटी भी आ गया जैसे की कुछ हुआ ही न हो वैसे हम लोग घुल मिल गए। .इस रात के बाद विक्रम मुझे अपना लोढ़ा 10 -15 दिन मैं एक बार मेरी चुत मै डाल देता था | मै भी बंटी के बहार होने पर विक्रम को फ़ोन कर के बुला लेती हु | वो घर आता जाता रहता है इसलिए किसीको शक भी नहीं होता |
दोस्तों कैसी लगी आपो मेरी चुदाई की कहानी कमैंट्स कर के बताये |
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